Copy Paste – 28 Humanity

कुछ वर्ष पहले डिस्कवरी चैनल पर मैँ एक कार्यक्रम देख रहा था जो कि आहार खानपान आदि पर आधारित था ।
हालाँकि इस तरह के कार्यक्रम में अपनी कोई विशेष रुचि तो नही फिर भी अनमने मन से देख ही रहा था ।


तो उस कर्यक्रम में दिखाया गया कि केरल की एक महिला के घर कोई विशेष अतिथि आने वाले थे,
तो महिला ने विशेष अतिथि के लिए विशेष भोजन बनाने का विचार किया और चल पड़ी स्थानीय बाजार
कुछ विशेष खरीदारी करने ।


वो गई एक माँस के बाजार में और
दुकानदार से पूछा -: कुटिपाई है ?
दुकानदार-: नही है ।
अब अपनी भी थोड़ी उत्सुकता जगी
कि ये कुटिपाई क्या होता भई ?
उस महिला ने 10-12 दुकानों पर पूछा तब एक दुकानदार ने हामी भरी कि हाँ मेरे पास कुटिपाई है ।
और उसने महिला को कुटिपाई उपलब्ध कराया
और चैनल वालों ने कुटिपाई का वर्णन किया,
तब मैँ एकदम से सन्न रह गया !!!


क्या होता है कुटिपाई ?


एक गर्भवती बकरी जिसके प्रसव का समय बिल्कुल समीप हो मतलब एक या दो दिन में ही प्रसव होने वाला हो मतलब गर्भस्थ शिशु पूर्ण हो चुका होता है तब उस बकरी की हत्या करके उस गर्भस्थ शिशु को निकाला जाता है और वो होता है “कुटिपाई” !!!


फिर वो महिला बताने लगी कि कुटिपाई बहुत स्वादिष्ट होता है नरम होता है,
जल्दी पकता है,
चबाने में आसानी होती है,
पचाने में आसानी होती है,
ईट्स सो डिलिशियस !!!
और मैँ बैठा बैठा सोच रहा कि
इंसान और हैवान में क्या फर्क रह गया ?


कुछ समय पहले शायद डिस्कवरी का ही एक वीडियो सामने आया था कि एक शेरनी ने एक मादा बन्दर का शिकार किया और जब उसका पेट फाड़ा तो उसमें से एक सम्पूर्ण शिशु बाहर आया तो शेरनी की ममता जाग उठी और शिशु को दुलारने लगी ।
और शायद उस शिशु का उसने पालन पोषण भी किया ।


अभी हाल में ही एक वीडियो आया जिसमे एक मगरमच्छ एक मादा हिरन को पकड़ लेता है कुछ देर दबोचने के पश्चात मगरमच्छ को अहसास होता है कि मादा हिरन गर्भवती है तो वो अपने जबड़े खोल उस मादा हिरन को आजाद कर देता है ।


ये सब क्या है भई ?
मनुष्य मनुष्यता भूल रहा सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए उसे गर्भस्थ शिशु चाहिए !!
मनोरंजन के लिए एक हथिनी की क्रूर हत्या !!
और हाँ एक बात और याद आई,
चीन का बेबी सूप !
घिन्न आने लगी स्वयं को मनुष्य कहने में ।
और दूसरी तरफ जानवर क्या दिखा रहे वो देखिए ।


मतलब एक तरह से जानवर और मनुष्य एकदूसरे से अपना व्यवहार की अदला बदली कर रहे ।
क्या पृथ्वी का अंत निकट है ?
ये कोरोना ये आँधी तूफान बवंडर भूकम्प साइक्लोन आदि ।
रहने लायक नही रही ये पृथ्वी आओ करें आह्वाहन
कि खोल दो तीसरी आँख हे नटराज,
हो जाने दो ताण्डव फिर से ।
अब तो सच मे फट ही पड़े ये पृथ्वी और समा ले स्वयं में इस तमाम प्रकृति को ।
फिर से सृजन करें ब्रह्मा ।
नई धरती नया आसमान हो ।
जहाँ इंसान का मतलब इंसान हो ।

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